Indian Constitution In Hindi | The Constitution of India | Introduction to the Constitution of India | Parts Of Indian Constitution | How many Articles in Indian Constitution
हेलो दोस्तो आपका स्वागत है,
आज आपको हमारे संविधान तथा भारत के शासन अधिनियम के बारे में अति महत्वपूर्ण जानकारी दी जाएगी। अतः मुझे पूरा विश्वास है कि आपको पोस्ट में दी गई जानकारी अत्यंत पसंद आएगी तो चलिए शुरू करते हैं।
संविधान की परिभाषा (Definition of the Constitution)
"लिखित और अलिखित नियमों का समूह है जिसके अनुसार किसी देश का शासन चलाया जाता है । उसे संविधान कहते हैं। किसी भी देश को चलाने के लिए सबसे आवश्यक तत्व संविधान माना जाता है।"
विश्व में सर्वप्रथम संविधान शब्द का प्रयोग ब्रिटिश नागरिक "सर हेनरी मैन" ने किया था।
सविधान शब्द लैटिन शब्द "Constiture" से बना है जिसका अर्थ प्रबंध करना।
राज व्यवस्था (Political System):-
"राजनीतिक व्यवस्था का अभिप्राय मात्र संविधान नहीं है अपितु औपचारिक या संवैधानिक ढांचे तथा अनौपचारिक ढांचे से मिलकर बनी व्यवस्था से है।"
भारतीय राजनीतिक व्यवस्था का स्वरूप भारतीय संविधान द्वारा प्रदत्त संवैधानिक ढांचे तथा यहां की ऐतिहासिक राजनीतिक सामाजिक तथा आर्थिक परिस्थितियों एवं संविधान निर्माण के समय प्रस्तुत उद्देश्य प्रस्ताव के समन्वय से बना है।
भारतीय संविधान एक दृष्टि में (A vision on Indian constitution)
कुल अनुच्छेद- 448 अनुच्छेद
कुल भाग- 25
कुल अनुसूचियां - 8 मूल संविधान में /12 वर्तमान संविधान में
भारतीय संविधान की विशेषताएं Significance of Indian Constitution
- भारतीय संविधान लिखित ,नवनिर्मित ,व्यापक संविधान है।
- यह विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है।
- भारतीय संविधान के निर्माण में 2 वर्ष 11 माह 18 दिन का समय लगा था।
- ब्रिटिश संविधान के अनुरूप भारतीय संविधान में संसदीय व्यवस्था को आत्मसात किया गया है।
- भारतीय संविधान विधि के शासन की स्थापना करता है।
- भारतीय संविधान भारत शासन अधिनियम 1935 का सर्वाधिक ऋणी है।
- भारतीय संविधान को "उधार का थैला" "borrowed bag"कहा जाता है ।
- भारतीय संविधान को "Sir Ivor Jennings" ने "वकीलों का स्वर्ग" कहा है।
- Prof. K.C. Whir ने इसे अर्ध संघीय कहा है।
- भारतीय संविधान ,अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों के लिए विशेष व्यवस्था रखता है।
- भारतीय सविधान संघात्मक होते हुए भी एकात्मक है।
- शासन का अध्यक्ष वंशानुगत ना होकर निर्वाचित प्रतिनिधि होता है इसलिए भारत गणतंत्र है। That's why India is a republic
भारतीय संविधान का इतिहास (history of the Indian constitution)
वर्तमान संविधान का निर्माण एक संविधान सभा द्वारा किया गया था।संविधान सभा के निर्माण से पहले ईस्ट इंडिया कंपनी तथा ब्रिटिश सरकार के समय पर कुछ अधिनियम बनाए गए थे जो निम्न है:-
1773 का रेगुलेटिंग एक्ट:-
- 10 जून 1777 से लागू हुआ था।
- ईस्ट इंडिया कंपनी पर ब्रिटेन के संसद के नियंत्रण की शुरुआत हुई थी।
- प्रत्येक 20 वर्ष बाद कंपनी के शासन की समीक्षा की जाती थी।
- मुंबई तथा मद्रास को बंगाल के अंतर्गत कर दिया गया।
- बंगाल के गवर्नर को 'बंगाल का गवर्नर जनरल' बना दिया गया वारेन होस्टिंग बंगाल के प्रथम गवर्नर जनरल बने थे।
- गवर्नर जनरल की सहायता के लिए 4 सदस्य कार्यकारिणी परिषद का गठन किया गया।
- कोलकाता में उच्चतम न्यायालय की स्थापना की गई जिसके प्रथम मुख्य न्यायाधीश एलिजा "Eliza Empery" बने थे।
- यह अभिलेख न्यायालय भी था।
1784 का पिट्स इंडिया एक्ट (The Pits India act ):-
- भारत में प्रशासन गवर्नर जनरल को दे दिया गया था।
- "Board of Control" नियंत्रक मंडल की स्थापना की गई
- गवर्नमेंट जनरल कार्यकारिणी की परिषद में सदस्य की संख्या 4 से घटाकर तीन कर दी गई थी।
- कंपनी के कार्य का विभाजन किया गया था।
- इस अधिनियम के द्वारा द्वैध शासन शुरू हुआ।
- यह विलियम पित्त के द्वारा प्रस्तुत किया गया था।
1793 का चार्टर एक्ट (The Charter Act ):-
- गवर्नर जनरल की योग्यता सुनिश्चित की गई।
- स्थाई बंदोबस्त प्रणाली की मान्यता।
- गवर्नर जनरल की परिषद में मुख्य सेनापति की स्वत सदस्यता का अधिकार समाप्त कर दिया गया था।
- कंपनी के व्यापारिक अधिकारी 20 वर्षों के लिए बढ़ा दिए गए।
- कंपनी के सदस्यों का वेतन कंपनी के कोर से देना प्रारंभ हुआ।
1813 का चार्टर एक्ट (The Charter Act 1813):-
- 1813 का चार्टर एक्ट को ईस्ट इंडिया कंपनी अधिनियम 1813 के नाम से भी जाना जाता है।
- "ईसाई मिशनरियो"को भारत में धर्म के प्रचार की अनुमति प्रदान की गई।
- चाय तथा चीनी पर कंपनी का अधिकार बना रहा
- भारत में व्यापारिक वर्ग का जन्म हुआ।
- भारतीयों की शिक्षा पर ₹100000 का वार्षिक खर्च करने का प्रावधान किया।
- नियंत्रण बोर्ड के अधिकार का विस्तार किया गया।
1833 का चार्टर एक्ट (The Charter Act 1833 ):-
- बंगाल के गवर्नर जनरल को भारत का गवर्नर जनरल बना दिया गया लॉर्ड विलियम बेंटिक भारत के प्रथम गवर्नर जनरल बने।
- विधि आयोग के गठन का प्रावधान किया गया।
- इसके अध्यक्ष लॉर्ड मैकाले थे।
- 1843 में दास प्रथा की समाप्ति की गई।
- विधि के संहिताकरण का काम प्रारंभ किया।
1853 का चार्टर एक्ट (The Charter Act 1853):-
- सिविल सेवा में भर्ती तथा नियुक्ति के लिए खुली प्रतियोगिता परीक्षाओं का आयोजन किया गया।
- संपूर्ण भारत के लिए विधानमंडल का प्रावधान किया गया।
- भारतीय केंद्रीय विधान परिषद में क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व को शामिल किया गया
भारत शासन अधिनियम. The Government of India Act. Or Indian Council Act।
1858 का भारत शासन अधिनियम:-
- कंपनी के शासन के समाप्ति पर भारत का शासन सीधे ब्रिटिश ताज "British Crown" के अंतर्गत कर दिया गया।
- ब्रिटिश ताज की ओर से भारत का शासन चलाने के लिए भारत सचिव व मंत्री तथा उसकी सहायता के लिए 15 सदस्यों का भरत परिषद का निर्माण किया गया।
- गवर्नर जनरल को वायसराय की उपाधि प्रदान की गई तथा लॉर्ड कैनिंग भारत के प्रथम वायसराय बने।
- द्वैध शासन की समाप्ति कर दी गई।
- court of directors वह बोर्ड ऑफ कंट्रोल की समाप्ति भी कर दी गई।
1861 का भारत शासन अधिनियम:-
- 1862 में लॉर्ड कैनिंग ने तीन भारतीयों बनारस के राजा पटियाला के राजा और सर दिनकर राव को विधान परिषद में मनोनीत किया।
- प्रांतों में विधान परिषदों का निर्माण किया गया।
- विभागीय प्रणाली मंत्रिमंडल प्रणाली को मान्यता वर्ष 1861 में प्रदान की गई।
- वायसराय को अध्यादेश किसी भी विधेयक पर वीटो का अधिकार प्रदान किया गया।
- कोलकाता, मुंबई तथा मद्रास में हाई कोर्ट की स्थापना की गई।
1892 का भारत शासन अधिनियम:-
- अप्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली की शुरुआत अर्थात भारत में संसदीय शासन की शुरुआत हुई।
- सदस्यों को सीमित मात्रा में प्रसन्न पहुंचने तथा बजट पर विचार विमर्श का अधिकार प्रदान किया गया।
1919 का भारत शासन अधिनियम/ The Morley Minto Reforms:-
- इस अधिनियम के द्वारा भारतीयों को विधि निर्माण तथा प्रशासन दोनों में प्रतिनिधित्व प्रदान किया गया।
- गवर्नर जनरल की कार्यकारिणी परिषद में सर्वप्रथम सत्येंद्र प्रसाद सिंहा प्रथम भारतीय बनाया जो गवर्नर जनरल की परिषद में सभी सदस्य के रूप में चुने गए।
- केंद्रीय और प्रांतीय विधान परिषद में अतिरिक्त सदस्यों की संख्या में वृद्धि की गई।
- मुसलमानों के लिए प्रथक निर्वाचक मंडल के स्थापना की गई।
- सांप्रदायिक निर्वाचन प्रणाली की शुरुआत की गई।
- लॉर्ड मिंटो को सांप्रदायिक निर्वाचन का जनक कहा जाता है।
1919 का भारत शासन अधिनियम (The Montagu chelmsford Reforms):-
- प्रांतों में आंशिक उत्तरदाई शासन तथा द्वैध शासन की स्थापना की गई।
- प्रांतों में द्वैध शासन की स्थापना की गई जिसके अंतर्गत समस्त विषयों को दो भागों में विभाजित किया गया अनारक्षित व हस्तांतरित में।
- आंशिक उत्तरदाई शासन की शुरुआत की गई।
- स्थानीय शासन की मान्यता दी गई।
- बाल गंगाधर तिलक ने मतेगयू चेम्सफोर्ड सुधार अधिनियम को बिना सूरज का सवेरा बताया था।
- भारतीयों ने इस अधिनियम के अपर्याप्त संतोषजनक कहकर आलोचना की गई।
1935 का भारत शासन अधिनियम(the Government of India Act 1935)
- 1935 के अधिनियम द्वारा अखिल भारतीय संघ का प्रावधान किया गया।
- 1935 के अधिनियम द्वारा सर्वप्रथम भारत के संघात्मक सरकार की स्थापना की गई।
- प्रांतों में द्वैध शासन की समाप्ति तथा प्रांतों की स्वायत्तता प्राप्त हुए अर्थात प्रांतों में पूर्ण उत्तरदाई शासन की स्थापना हुई।
- केंद्र में द्वैध शासन की स्थापना की गई तथा आंशिक उत्तरदाई सरकार की स्थापना का प्रावधान किया गया।
- केंद्र विधानमंडल के तीन अंग थे पहला राज्य परिषद दूसरा गवर्नर जनरल तथा तीसरा विधानसभा।
- भारत का संघ स्थापित करने का सुझाव दिया गया जिसमें भारत को ब्रिटिश प्रांतों तथा देसी रियासतों दो भागों में विभाजित किया गया।संघ और राज्य के बीच शक्तियों का विभाजन अधिनियम की सातवीं अनुसूची में शामिल की गई थी।
- वर्मा को भारत से अलग कर दिया गया था।
- उच्चतम न्यायालय तथा आरबीआई की स्थापना का प्रावधान किया गया।
- जवाहरलाल नेहरू ने 1935 भारत शासन अधिनियम को "दासता का चार्टर" तथा "बिना ब्रेक की गाड़ी" कहा ।
- मोहम्मद अली जिन्ना ने इसे "रद्दी की टोकरी में फेंकने के लायक"बताया।
- मदन मोहन मालवीय ने इस अधिनियम को बाहर से लोकतांत्रिक व भीतर से खोखला बताया।
साइमन कमीशन (Simon commission)
- सर जॉन साइमन की अध्यक्षता में नवंबर 1927 को 7 सदस्य आयोग का गठन किया गया।
- इस आयोग को वाइट कमीशन(White Commission) के नाम से भी जाना जाता है
- 3 February 1928 को भरत पहुंचकर 1930 में अपनी रिपोर्ट पेश की।
मैकडोनाल्ड योजना (MC Donald Scheme)
- 1932 में ब्रिटिश प्रधानमंत्री रैमजे मैकडोनाल्ड ने अल्पसंख्यकों के प्रतिनिधित्व की योजना लाई थी।
- इसमें पृथक निर्वाचन व्यवस्था का विस्तार दलितों के लिए भी किया गया।
- इसे ही सांप्रदायिक अवार्ड कहा गया था।
- इसके विरोध में महात्मा गांधी ने पुणे की यरवदा जेल में आमरण अनशन किया।
पूना पैक्ट (Poona pact)
- यह समझौता सितंबर 1932 को गांधी ज वह डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के मध्य हुआ ।
- इसके अनुसार केंद्रीय विधान परिषद में दलितों के लिए 18% स्थान सुरक्षित किए गए।
1947 का भारत स्वतंत्रता अधिनियम इंडिपेंडेंस एक्ट ऑफ़ इंडिया 1947 the independence Act of India 1947
- 20 फरवरी 1947 को क्लीमेंट एटली ने घोषणा की कि 30 जून 1947 को भारत में ब्रिटिश शासन समाप्त हो जाएगा।
- 3 जून 1947 को लॉर्ड माउंटबेटन द्वारा रखी गई भारत विभाजन योजना को कांग्रेस व मुस्लिम लीग दोनों ने स्वीकार कर लिया।
- हे बेटी सदन में 4 जुलाई 1947 को लाया गया था।
- ब्रिटिश संसद द्वारा 18 जुलाई 1947 को स्वीकार कर अधिनियम पारित किया गया।
इस एक्ट की मुख्य विशेषताएं निम्न है:-
- 15 अगस्त 1947 को भारत को स्वतंत्र प्रदान की जाएगी।
- भारत का विभाजन दो भागों में किया जाएगा भारत व पाकिस्तान।
- दोनों राज्यों को अपना गवर्नर जनरल चुनने का अधिकार प्रदान किया जाए।
- दोनों राज्यों को संविधान सभा के माध्यम से संविधान बनाने का अधिकार प्रदान किया गया।
- भारत सचिव के पद की समाप्ति की गई।
- देसी रियासतों को भारत या पाकिस्तान में मिलने अथवा अपना पृथक अस्तित्व बनाए रखने की आजादी प्रदान की गई।
- नये संविधान के निर्माण हेतु तक 1935 के भारत शासन अधिनियम द्वारा शासन का संचालन किया जाएगा
1 टिप्पणियाँ
बहुत अच्छी जानकारी
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