Important Definitions Related To Fuse In Hindi फ्यूज़ क्या हैं ? फ्यूज से संबंधित महत्वपूर्ण परिभाषाएं

 What is Fuse (फ्यूज़ क्या हैं ):-

फ्यूज एक सबसे छोटी एवं सस्ती युक्ति है जो अधिभार एवं लघुपरिपथ की स्थिति में परिपथ को सप्लाई से पृथक करता है। फ्यूज यूनिट लघु आकार की एक तकनीकी रक्षण युक्ति (technical protecting device) है, जिसे विद्युत परिपथ के प्रारम्भ में संजीवित तार (live wire) के साथ श्रेणी क्रम में संयोजित किया जाता है।

लघुपथन (short circuiting), अति भारन (over loading) आदि असामान्य स्थितियों पर जब परिपथ में पूर्व निश्चित मान से अधिक विद्युत धारा प्रवाहित होती है तब निम्न द्रवणांक (low melting point) वाली धातु से निर्मित फ्यूज एलीमेन्ट (fuses wire) स्वयं पिघलकर दोषी परिपथ को विद्युत प्रदाय स्त्रोत अथवा मुख्य परिपथ से पृथक (cutoff) कर देता है।

परिणामस्वरूप परिपथ में विद्युत धारा का मान शून्य हो जाता है। इस प्रकार स्वयं परिपथ तथा इसमें संयोजित उपकरण उच्च विद्युत धारा के कारण होने वाली क्षति (जलकर नष्ट होने) से बच जाते है। दोष निवारण के पश्चात् एक नवीन फ्यूज को दुबारा लगाने से विद्युत परिपथ ज्यों का त्यों पुनः ऊर्जित हो जाता है। इस प्रकार फ्यूज यूनिट स्वचालित रक्षण युक्ति (automatic protecting device) के साथ-साथ स्विचन युक्ति (switching device) का कार्य भी करता है। क्योंकि फ्यूज के लगाने से परिपथ पुनः पूर्ण हो जाता है।

चूँकि फ्यूज यूनिट एक विश्वसनीय, लघु आकार की कम जगह घेरने वाली साफ-सुथरी, देखने में सुन्दर, कीमत में सस्ती, विलोम लक्षण (inverse characteristics) वाली रक्षण युक्ति है। इसलिये इसका प्रयोग निम्न क्षमता से लेकर उच्च क्षमता तक के इलैक्ट्रिकल तथा इलैक्ट्रोनिक्स के सर्किटों में विस्तृत एवं समान रूप से होता है।

Definition of different terms Related to Fuse (फ्यूज़ की विभिन्न पदों की परिभाषा):-

1.    Fuse (फ्यूज):-

    वह तकनीकी साधन (technical device) जो उच्च विद्युत धारा के विरूद्ध केबिलों तथा उपकरणों की रक्षा के लिये, विद्युत परिपथ के श्रेणीक्रम में संयोजित किया जाता है फ्यूज कहलाता है। प्रायः फ्यूज शब्द का प्रयोग रक्षण युक्ति (protecting device) के सभी अंगों को व्यक्त (represent) करने के लिये किया जाता है। इसे फ्यूज यूनिट भी कहते है।

2.    Fuse base (फ्यूज का आधार) :-

    इसका तात्पर्य फ्यूज यूनिट के निचले आधारी भाग (अंग) से हा यह विद्युतरोधी पदार्थ, पोर्सलेन से बना हुआ स्थैतिक अंग होता है, जिसमें प्रणाली के संयोजन केला धातु की पत्तियों से निर्मित दो सिरे (terminals) व्यवस्थित रहते है।

3.    Fuse base contacts (फ्यूज के आधार की सम्पर्के):-

    इसका तात्पर्य फ्यूज यूनिट के आधार में लगे हुए सम्पर्को से है। ये धातु की पत्तियों (strip) से निर्मित, दो विद्युत सुचालकी सिरे (terminals) होते हैं, जो फ्यूज कैरियर के सम्पर्क सिरों से सम्पर्क स्थापित करते है।

4.    Fuse carrier (फ्यूज का वाहक) :-

    इसका तात्पर्य फ्यूज यूनिट के हटाये जाने वाले अंग! (removable port) से है। यह विद्युतरोधी पदार्थ, पोर्सलेन से बना होता है, जिसमें दो सम्पर्क सिरों (contact terminals) के बीच एक फ्यूज-अवयव (fuse element) संयोजित रहता है।

5.    Fuse carrier contacts (फ्यूज के वाहक की सम्पर्के) :-

    इसका तात्पर्य फ्यूज यूनिट के वाहक (carrier) में लगे हुए सम्पर्कों (contacts) से है। ये धातु की पत्तियों (strips) से बने हुए दो विद्युत सुचालकीय सिरे (terminals) होते हैं, जिनके बीच धातु का तार अर्थात् फ्यूज सुचालकीय सिरे (terminals), होते है, जिनके बीच धातु का तार अर्थात् फ्यूज एलीमेट संयोजित रहता है। इन सम्पर्कों का अभिकल्प, फ्यूज यूनिट के आधार में लगे हुए सम्पर्कों से सम्पर्क करने के लिए होता है।

6.    Fuse element or fuse wire ( फ्यूज का अवयव अथवा फ्यूज के तार) :-

    इसका तात्पर्य फ्यूज यूनिट के वाहक (carrier) में लगे हुए धातु के तार (metal wire) से है। यह विद्युत सुचालकीय अंग होता है जो असामान्य स्थिति (abnormal conditions) में उच्च धारा के प्रभाव से पिघलकर विद्युत परिपथ को भंग | (break) कर देता है अर्थात् खोल (तोड़) देता है।

7.    Fuse link(फ्यूज की कड़ी):-

    फ्यूज का वह अंग है, जिसे प्रचलन के पश्चात् फ्यूज को पुनः प्रयोग । करने के लिये स्थानान्तरित (replace) करना पड़ता है, फ्यूज की कड़ी कहलाती है। इसे कभी-कभी फ्यूजयूनिट भी कहते है। यह फ्यूज अवयव तथा धारक दोनों को मिलाकर पूर्ण होती है।

8.    Fuse link contact (फ्यूज की कड़ी की सम्पर्क) :-   

    फ्यूज का वह अंग है, जिसे प्रचलन के पश्चात् फ्यूज को पुनः प्रयोग करने के लिये स्थानान्तरित (replace) करना पड़ता है, फ्यूज की कड़ी कहलाती है। इसे कभी-कभी फ्यूज-यूनिट भी कहते है। यह फ्यूज अवयव तथा धारक दोनों को मिलाकर पूर्ण होती है। फ्यूज की कड़ी या तो फ्यूज की कड़ी के सम्पर्कों से संयोजित रहती है या फिर फ्यूज के आधार के सम्पर्को के साथ प्रत्यक्ष संयोजित रहती है।

9.    Fuse holder (फ्यूज का धारक):-

    फ्यूज का आधार तथा फ्यूज का वाहक दोनों मिलाकर फ्यूज धारक कहलाते हैं। वास्तव में फ्यूज के धारक का तात्पर्य फ्यूज को धारण करने वाले अंगों से होता है।

10.    Encloser or fuse element (फ्यूज के अवयव का आवरण) :-

    फ्यूज का वह अंग, जिसमें फ्यूज अवयव पूर्ण रूप से बन्द रहता है, फ्यूज आवरण कहलाता पर इसका प्रयोग फ्यूज प्रचालन में उत्पन्न आर्कन से व्यक्ति एवं वस्तु की सुरक्षा के लिये किया जाता है।

11.    Rated Voltage (फ्यूज की निर्धारित वोल्टता) :-

    यह फ्यूज की उच्चतम कार्यकारी एवं उपाधि वोल्टता (designation voltage) है जिस पर फ्यूज सफलतापूर्वक सतत कार्य करता है। इस वोल्टता से फ्यूज की परीक्षण अवस्थायें (test conditions) एवं कार्यकारी वोल्टता की सीमायें ज्ञात होती है।

12.    Recovery Voltage (फ्यूज की पुनः प्राप्ति वोल्टता) :-

    यह फ्यूज अवयव के पिघलने के पश्चात् सम्पर्क सिरों के एक्रोस प्राप्त वोल्टता है।

13.    Arc voltage (फ्यूज की आर्क वोल्टता):-

    यह आर्कन के समय फ्यूज कड़ी के एक्रोस प्राप्त वोल्टता है। आर्क वोल्टता फ्यूज की पुनः प्राप्त वोल्टता से कम होती है।

14.    Rated current (फ्यूज की निर्धारित धारा) :-

    यह फ्यूज उच्चतम कार्यकारी एवं उपाधि धारा (designation current) है, जिस पर फ्यूज सफलतापूर्वक सतत कार्य करता है। फ्यूज का अभिकल्प इसी उच्चतम धारा पर लगातार कार्य करने के लिये किया जाता है।

15.    Fusing current ( फ्यूज की प्रगलन धारा) :-

    यह न्यूनतम धारा जिस पर फ्यूज अवयव । जाता है प्रगलन धारा अथवा न्यूनतम प्रगलन धारा (minimum fusing current) कर की अपेक्षा फ्यूज की प्रगलन धारा उच्च होती है।

16.    Non-fusing current ( फ्यूज की अप्रगलन धारा):-

    प्रारम्भिक आर्क के समय वह न्यूनतम धारा, जिस पर फ्यूज का अवयव पिघलता नहीं, अप्रगलन धारा अथवा न्यूनतम अप्रगलन धारा (Minimum non-fusing current) कहलाती है।

Current-time characteristics of a fuse


17    Fusing factor (प्रगलन घटक):-     

    न्यूनतम प्रगलन धारा तथा निर्धारित धारा के अनुपात को प्रगलन . धटक कहते हैं। अर्थात्

    प्रगलन घटक =न्यूनतम प्रगलन धारा / निर्धारित धारा


18.    Pre-arcing time (फ्यूज का पूर्व-आकेन समय):-      

    यह प्रगलन धारा का आरम्भ तथा फ्यज कडी के एक्रोस उत्पन्न होने वाले आर्कन का आरम्भ के बीच का समय है।

19.    Arcing time (फ्यूज का आर्कन समय):-

    यह पूर्व-आर्कन-समय का अन्त तथा के शून्य होने तक के बीच का समय है अथवा फ्यूज अवयव के एक्रोस उत्पन्न आर्कन में लिया गया आर्कन काल कहलाता है।

20.    Total operating time (फ्यूज का प्रचालन समय):-

    यह पूर्व आर्कन समय तथा आर्कन समय का योग है। अतः

कुल प्रचालन समय = पूर्व आर्कन समय + आर्कन समय

21    Operation of fuse link(फ्यज की कड़ी का प्रचालन):-

    यह पूर्व-आर्कन समय के आरम्भन तथा आर्कन समय के अन्त तक के बीच का प्रक्रम (process) है।

22.    Size in amperes (फ्यूज का एम्पयर म प्रमाप) :-

    यह फ्यूज की निश्चित की गई (dimensions) के लिये, एम्पियर में उच्चतम निर्धारित धारा है।

23.    Cut-off and cut-off current (फ्यूज़ का कट-ऑफ तथा कट-आफ धारा) :-

यह ए सी तत्क्षणिक धारा (instantaneous current) का वह उच्चतम मान है जिस पर फ्यूज-अवयव पिघलकर परिपथ को भंग कर देता है। तब फ्यज-कडी को कट ऑफ कहते हैं और तत्क्षणिक धारा के वर्तमान मान को कट-ऑफ धारा कहते है।

Cut-off characteristic of fuse 

 24.    Rated capacity of fuse (फ्यूज की निर्धारित क्षमता):-

    निश्चित भौतिकी अवस्थाओं (वोल्टता, तापक्रम आदि) के अन्तर्गत वह उच्चतम कार्यकारी धारा, जिस पर फ्यूज सफलतापूर्वक सतत् कार्य करता है, फ्यूज की निर्धारित क्षमता कहलाती है और यह एम्पियर में मापी जाती है।

25.    Rupturing capacity of fuse (फ्यूज की विदारक क्षमता):-

    कुछ विशेष प्रयोगात्मक कनियमों के अन्तर्गत किसी निश्चित वोल्टता पर धारा का वह अन्वेषणात्मक न्यूनतम मान है, जिस पर फ्यूज अवयव पिघलकर विद्यत परिपथ को भंग कर देता है, फ्यूज की विदारक क्षमता (breaking capacity कहलाती है। इसे एम्पियर में मापा जाता है।


Dependency of current carrying capacity of fuse (फ्यूजों की धारा वहन क्षमता की निर्भरता):-

    ओह्म के नियमानुसार फ्यूज में प्रवाहित धारा

                                  


उपर्युक्त सूक्त के अनुसार फ्यूज की धारा वहन क्षमता निम्न घटकों पर निर्भर करती है:-

1.    Resistance of fuses element (फ्यूज अवयव के प्रतिरोध):-

फ्यूज की धारा वहन क्षमता I, फ्यूज अवयव के प्रतिरोध R, के विलोमानुपाती होती है ] . अर्थात् I= 1/R

2.    Nature of material of fuses element (फ्यूज अवयव के पदार्थ की प्रकर्ति ):-

धारा वहन क्षमता I, फ्यूज अवयव के पदार्थ के विशिष्ट प्रतिरोध p के विलोमानुपाती होती है

अर्थात् I=1/p

3. Length of fuses element (फ्यूज अवयव की लम्बाई):-

फ्यज की धारा वहन क्षमता भी L के विलोमानुपाती होती है अर्थात् 1/L

4. Cross-sectional area of fuses element (फ्यूज अवयव के अनुप्रस्थ काट के क्षेत्र ):-

फ्यज की धारा वहन क्षमता I, फ्यूज अवयव के परिच्छेद a, के समानुपाती होती है।

                                अर्थात्




5. Diameter of fuses element (फ्यूज अवयव के व्यास):-

    फ्यूज की धारा वहन क्षमता i फ्यूज अवयव के व्यास के वर्ग (d2), के समानुपाती होती है। अर्थात्

6.    Radius of fuses clement (फ्यूज अवयव के अर्द्धव्यास/त्रिज्या ):-

फ्यूज की धारा वहन क्षमता I, : फ्यूज अवयव के अर्द्धव्यास के वर्ग (R2), के समानुपाती होती है।

7. Surface area of fuses element (फ्यूज अवयव की सतह क्षेत्र):-

अधिक परिमिति . (perimeter) तथा खोखले तारों की वहन क्षमता उच्च होती है।'

8. Nature of external surfacce of fuses element(फ्यूज अवयव की बाह्य सतह की प्रकृति):-

बलदार तारों की अपेक्षा समान साइज के ठोस तारों की धारा वहन क्षमता उच्च होती है।

9.    Physical conditions of Atmosphere(वातावरण की भौतिक अवस्थाएं):-

        शीत वातावरण के कारण तारों की वहन क्षमता बढ़ जाती है।

10.    Size of fuses element (सिरा सम्पर्कों के आकार) :-

    बड़े सम्पर्क सिरों की सतह क्षेत्र अधिक होने के कारण ताप विसरण की क्षमता उच्च होती है। परिणामस्वरूप संयोजित फ्यूज तार की धारा : वहन क्षमता भी बढ़ जाती है। ।

11.     Encloser of fuses element (फ्यूज अवयव के आवरण):-

    आवरण के वायु के प्रवाह की दर उच्च होने से फ्यूज तार की धारा वहन क्षमता बढ़ जाती है।

..

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Essential characteristics of a good protecting gear :(श्रेष्ठ रक्षण यन्त्रावली के आवश्यक अभिलक्षण):-

    एक श्रेष्ठ रक्षण यन्त्रावली में निम्नलिखित शुभ-लक्षणों का होना अति आवश्यक है

(i)    Selectivity (चयनता): -

    दोष अवस्था में रक्षण-यन्त्रावली द्वारा विद्युत प्रणाली के किसी अन्य , अंग को बिना विचलित (disturb) किये केवल यथोचित दोषयुक्त (अस्वस्थ) अंग को ही सम्पूर्ण विद्यत ६ प्रणाली से वियोजित (disconnect) करना चाहिये। लक्षण की इस क्रिया को रक्षण यन्त्रावली की चयन किया (dicrimination-action) कहते है।

(ii) Sensitivity (सग्राहिता): -

    रक्षण यन्त्रावली को निम्न दोष धारा के प्रारम्भिक मान पर ही प्रचालित होकर विद्युत प्रणाली के अस्वस्थ भाग को वियोजित करना चाहिये।

(iii) Reliability (विश्वसनीयता) :-

    रक्षण- यन्त्रावली को पूर्ण-निर्धारित अवस्थाओं के अन्तर्गत अवश्य ही अपना कार्य परा करना चाहिये अर्थात् दोष स्थिति के समय यन्त्रावली का प्रचालन असफल नहीं होना चाहिये।

(vi) Quickness (शीघ्रता):-

    विद्युत प्रणाली के विद्युत उपस्करों का रक्षा गुणक (safety-factor) ... तथा प्रचालन का स्थायित्व बनाने के लिये, रक्षण यन्त्रावली का प्रतिउत्तर (response) अति शीघ्र होना चाहिये।

(v) Stability (स्थायित्व) :-

    रक्षण यन्त्रावली को आवश्यकता के समय पर ही पर चाहिये। अन्य अनावश्यक अवस्थाओं में प्रचलित नहीं होना चाहिया

(vi) Provision for future extension ( भविष्य में विस्तार की संभावना) :-

    भविष्य में विद्यत . प्रणाली के विस्तार हेतु रक्षण यन्त्रावली की पर्व कल्पना का विधान होना चाहिये, ताकि प्राथमिक यन्त्रावली के कारण किसी प्रकार की बाधा न पड़े।


Best qualities of fuse wire (फ्यूज तार की श्रेष्ठ गुणवत्तायें):-

    फ्यूज तार में निम्न गुणों का होना नितान्त आवश्यक है :

1.     निर्धारण में विश्वसनीयता (reliability in rating) अर्थात् फ्यूज पर निर्धारण क्षमता लिखी रहती है इसे इसी क्षमता पर निश्चित रूप से कार्य करना चाहिये।

2.    शीघ्र प्रचालन (Quick operation) अर्थात् इसका पिघलकर गिरना (melt-down) अति शीघ्र होना चाहिये।

3.    अक्षयकरण (Non-deterioration) अर्थात् इसका ऑक्सीकरण (oxidization) नहीं होना चाहिए।

4.    स्थायित्व (stability) अर्थात् लघु समय के लिये लघुपथन स्थिति का मुकाबला करने (to withstand) की उपयुक्त क्षमता होनी चाहिये।

5.     सुरक्षा प्रदान करना (to provide safety) अर्थात् इसे असासमान्य स्थिति में प्रचालित होकर रक्षित प्रणाली को नष्ट होने से बचा लेना चाहिये।


Selection of fuse material (फ्यूज पदार्थ का चयन) :-

    फ्यूज तार इस प्रकार के पदार्थ का होना चाहिये कि निर्धारित (rated) धारा को सुरक्षा पूर्वक वहन कर सकें परन्तु धारा के निर्धारित मान से बढ़ने पर वह गर्म होकर पिघल जावे और विद्यत परिपथ को तोड़ । दे। फ्यूज तार के इस गुण के लिए फ्यूज पदार्थ की चालकता उच्च और ताम्र हानियां निम्न होनी चाहिये।

    व्यावहारिक रूप में यह देखा गया है कि टिन, सीसा और जस्ता निम्न गलनांक बिन्दु वाले पदार्थ कम क्षमता के फ्यूज के लिए अधिक उपयुक्त है परन्तु इनकी चालकता कम (प्रतिरोधकता उच्च) है जिससे उच्च धारा विच्छेदन के लिए इनका व्यास एवं भार बढ़ जाता है जो कि गलन के समय अधिक पिघले हये पदार्थ के कारण कई समस्या उत्पन्न करता है।

    इसके अलावा उच्च गलन बिन्दु एवं उच्च चालकता वाले पदार्थ जैसेतांबा, लोहा, एल्यूमिनियम आदि भी फ्यूज पदार्थ के रूप में उच्च धारा विच्छेन के लिए प्रयोग किये जाते हैं परन्त इनमें आक्सीकरण की समस्या अधिक है। ऑक्सीकरण के कारण फ्यूज तत्व पर एक बाहरी परत बनने पर वह पिघले हए धातु क्रोड को आधार प्रदान कर सकती है।

    उच्च चालकता, न्यन प्रसार गणांक एवं न्यून ऑक्सीकरण तथा न्यून क्षरण आदि गुणों के कारण चांदी फ्यूज के लिए सबसे अति अत: कम धारा क्षमता (10 A से कम) के लिए सीसा और टिन की मिशान [ आर टिन को मिश्र धातु (37% सीसा और 63% . टिन) प्रयोग की जाती है इस प्रकार के फ्यूज की गलन धारा प्रसामान्य धारा की धारा प्रसामान्य धारा की 1.6 गुणा होती है ।

    परन्तु 10A. से अधिक क्षमता के लिए साधारणतया टिन किया हुआ तांबा प्रयोग किया जाता है ।


What is the rating of double pole rewirable switch fuse unit generally used in electrical engineering laboratories?


आज आपको Fuse के  बारे मे कुछ महत्वपूर्ण जानकारी दी गई । यदि आपको पसंद आई तो comments करके जरूर बताए । 

धन्यवाद


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